बेटे-बहू को जेल से छुड़ाने बुजुर्ग महिला ने पेंशन और राशन कार्ड गिरवी रखा

ओडिशा के मयूरभंज जिले में एक बुजुर्ग महिला ने एक वकील की फ़ीस और जेल में कैद अपने बेटे और बहू को  रिहा कराने  अपना वृद्धावस्था पेंशन कार्ड और राशन कार्ड एक दलाल का पास गिरवी रख दिया।

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भुवनेश्वर| ओडिशा के मयूरभंज जिले में एक बुजुर्ग महिला ने एक वकील की फ़ीस और जेल में कैद अपने बेटे और बहू को  रिहा कराने  अपना वृद्धावस्था पेंशन कार्ड और राशन कार्ड एक दलाल का पास गिरवी रख दिया।

बारीपदा ब्लाक  के खादीसोल गांव की तुलसी देउरी नामक 72 बरस की इस बुजुर्ग महिला ठीक से चल भी नहीं पा रही है| और इसी हालत में अपने 7 साल के पोते की परवरिश भी कर रही है |

ओटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक बुजुर्ग महिला तुलसी ने अपना  पेंशन कार्ड तथा बहू के नाम बन  परिवार का राशन कार्ड है| बुजुर्ग महिला का बेटा और बहू  हत्या के एक मामले में जेल में हैं| जिनकी रिहाई के लिए उसने वकील का सहारा लिया है ,और वकील के खर्चों को पूरा करने उसने एक दलाल के पास गिरवी रखा|

यह दलाल उसके  पेंशन और राशन कार्ड का सारा फायदा उठा रहा है|

बुजुर्ग महिला तुलसी आने और पोते के गुजरे के  जंगल जाकर पत्ते तोडती  है।  एक दिन में वह हजार पत्ते तोड़ लेती है जिसके उसे  100 रुपये मिलते है।

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बुजुर्ग महिला का कहना है , मैं पास के जंगल से पत्ते इकट्ठा करटी  हूं और उन्हें बेचकर चावल और अन्य सामान खरीदती हूं। अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरे पोते की देखभाल कौन करेगा|

तुलसी के एक रिश्तेदार ने बताया, वह राशन और पेंशन कार्ड गिरवी रखने के बाद जीवित रहने के लिए बहुत संघर्ष कर रही है। मैंने सुना है कि उसने दोनों कार्ड 5,000 रुपये में गिरवी रखे थे|

रिश्तेदार ने कहा, तुलसी हर महीने खादीसोल ग्राम पंचायत कार्यालय जाती है और अपने हस्ताक्षर करती है, लेकिन पेंशन का पैसा और राशन बिचौलिए की जेब में चला जाता है|

ओटीवी की रिपोर्ट   के मुताबिक   गांव में कई अन्य लोगों के राशन और पेंशन कार्ड भी बिचौलिए के पास गिरवी पड़े हैं|

इस सम्बन्ध में जोगन सहायक लबंगलता महंत  का कहना  था,  “लाभार्थी पंचायत कार्यालय में आते हैं और रजिस्टर पर अपने हस्ताक्षर करते हैं। बाद में बिचौलिए द्वारा राशन लिया जाता है। यदि कोई लाभार्थी नहीं आता है, तो मैं राशन रोक सकता हूं। हालाँकि, जब वे जाते हैं और बाद में राशन किसी और को सौंप देते हैं, तो मैं इस मामले में क्या कह सकता हूँ। ”

 

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