सीएम पटनायक ने पंडित रघुनाथ मुर्मू की समाधि पीठ के विकास की योजना को दी मंजूरी

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ओल चिकी लिपि के आविष्कारक गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू स्मारक के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।  सीएम पटनायक ने गुरुवार को पंडित रघुनाथ मुर्मू की समाधि स्थल के विकास के लिए जिला प्रशासन द्वारा सौंपी गई योजना को मंजूरी दे दी है।

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मयूरभंज। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ओल चिकी लिपि के आविष्कारक गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू स्मारक के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।  सीएम पटनायक ने गुरुवार को पंडित रघुनाथ मुर्मू की समाधि स्थल के विकास के लिए जिला प्रशासन द्वारा सौंपी गई योजना को मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार दंडबोस-कपीबुरु में पंडित रघुनाथ मुर्मू की समाधि पीठ के विकास पर 75 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। इसी तरह वहां 75 लाख रुपये की लागत से मेडिटेशन सेंटर भी बनाया जाएगा। इसके अलावा कपीबुरु में दीवारों और संपर्क सड़कों के विकास के लिए तीन करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है, जबकि दो करोड़ रुपये एक सभागार और अनुसंधान केंद्र के लिए खर्च किए जाएंगे। अन्य एक करोड़ रुपये यहां आने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए छात्रावास और अन्य सुविधाओं के निर्माण पर खर्च किए जाएंगे।

 कपीबुरु में स्वागत केंद्र के सौंदर्यीकरण और स्थापना के लिए 70 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे और दंडबोस, बिदु चंदन बाहरी क्षेत्र और मारंग-अहारा पूल के विकास पर 1 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा पेयजल परियोजनाओं व विद्युतीकरण पर 80 लाख रुपये खर्च करने का निर्णय लिया गया है।

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 विभाग द्वारा ये सभी कार्य पांच चरणों में पूरे किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने प्रशासन को जल्द से जल्द काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं।

 गौरतलब है कि 5टी सचिव वीके पांडियान ने मुख्यमंत्री के निर्देश पर 2 और 3 मार्च को दो दिवसीय मयूरभंज का दौरा किया था। अपनी यात्रा के दौरान पांडियान डंडाबोस और पंडित रघुनाथ मुर्मू की समाधि और बारीपदा स्थित आवास गए थे। वहां संथाली आबादी से मुलाकात के दौरान पांडियान ने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार पंडित रघुनाथ मुर्मू की स्मृति में जगह के विकास के लिए कदम उठाएगी। उन्होंने सुझाव दिया था कि जिला प्रशासन तदनुसार एक व्यापक योजना तैयार करे।

 संथाली समाज और संथाली भाषा और साहित्य में गुरु गमके पंडित रघुनाथ मुर्मू का योगदान जगजाहिर है। पंडित मुर्मू अलचिकी ने विज्ञान आधारित संथाली लिपि का आविष्कार किया और संथाली समुदाय की सांस्कृतिक पहचान को बढ़ाया। पंडित रघुनाथ मुर्मू को न केवल संथाली समुदाय में बल्कि भारतीय साहित्य की पूरी दुनिया में उनकी उपलब्धियों के लिए याद किया जाता है। संथाली समाज में उनके महान योगदान ने उन्हें हमेशा पूजनीय बना दिया है।

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