छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव: महासमुन्द जिले में प्रत्याशी की छवि ने निर्णायक भूमिका निभाई

महासमुन्द जिले में भाजपा एवम कांग्रेस के खाते में दो दो सीटें आयी है. इस जिले में मतदाताओं के सामने पार्टियों के घोषणापत्र से बढ़कर उनकी छवि ने निर्णायक भूमिका निभाई है.

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त्वरित टिप्पणी : रजिंदर खनूजा 

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में महासमुन्द जिले में भाजपा एवम कांग्रेस के खाते में दो दो सीटें आयी है. इस जिले में मतदाताओं के सामने पार्टियों के घोषणापत्र से बढ़कर उनकी छवि ने निर्णायक भूमिका निभाई है.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा एवम कांग्रेस के घोषणापत्र करीब करीब समान ही थे. यहां के मतदाता यह बात जान चुके थे कि किसी भी पार्टी की सरकार बने घोषणापत्र पर अमल हुआ तो दोनों ही दल एक समान फायदा देंगे. लिहाजा मतदाताओं ने स्थानीयता को महत्व देते हुए प्रत्याशी  के व्यवहार के साथ उनसे अपने सम्बन्ध के अनुसार ही मतदान किया.

सरायपाली सीट पर निःसन्देह सरला कोसरिया अच्छी प्रत्याशी थी परन्तु कांग्रेस प्रत्याशी चातुरी नन्द की सरकारी सेवा में रहते हुए भी आम लोगो से बेहतर सम्बन्ध जीत का कारण बना.

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इसी तरह बसना विधानसभा के विधायक देवेंद्रबहादुर सिंह की निष्क्रियता एवम उनके कार्यकर्ताओ का आतंक उनकी हार का कारण बना.

खल्लारी में द्वारकाधीश यादव द्वारा क्षेत्र के लिए किए गए विकास कार्य एवम भाजपा प्रत्याशी अलका चंद्राकर की कथित निष्क्रियता उन्हें भारी पड़ी.

इसी तरह महासमुन्द से भाजपा प्रत्याशी  योगेश्वर राजू सिन्हा का व्यवहार काम आया और शहर से मिले भारी मतों ने उन्हें विधानसभा का रास्ता दिखा दिया.

बहरहाल चार सीटों में से 3  पर पुरुष प्रत्याशी  और 1 पर महिला  प्रत्याशी  ने जीत दर्ज की.

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