जनजातीय साहित्य महोत्सव: बस्तर बैंड की धुन पर झूमे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव   के शुभारंभ अवसर पर प्रख्यात बस्तर बैंड की प्रस्तुति ने ऐसा माहौल बनाया कि वहां मौजूद   लोग वाद्य यंत्रों की मनमोहक धुन पर थिरकते नजर आए।मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल भी अपने आप को थिरकने से रोक नहीं पाए 

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रायपुर|  राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव   के शुभारंभ अवसर पर प्रख्यात बस्तर बैंड की प्रस्तुति ने ऐसा माहौल बनाया कि वहां मौजूद   लोग वाद्य यंत्रों की मनमोहक धुन पर थिरकते नजर आए।मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल भी अपने आप को थिरकने से रोक नहीं पाए

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।19 अप्रैल से शुरू हुए इस महोत्सव में जनजातीय साहित्यकार, विषय-विशेषज्ञ, शोधार्थी, चित्रकार एवं कलाकारों का समागम हो रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल थे।

महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर प्रख्यात बस्तर बैंड की प्रस्तुति अतिथियों के सामने हुई। जनजातीय समुदाय के पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ प्रस्तुति देने वाले बस्तर बैंड ने अपनी शानदार पेशकश से शुभारंभ अवसर पर ऐसा माहौल बनाया कि वहां मौजूद हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया। लोग वाद्य यंत्रों की मनमोहक धुन पर थिरकते नजर आए। एक वक्त ऐसा भी आया, जब मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल भी अपने आप को थिरकने से रोक नहीं पाए और उन्होंने भी मुंडा बाजा थामा और थाप देने लगे। मुख्यमंत्री ने बस्तर बैंड के कलाकारों के साथ ताल से ताल मिलाया।

मुख्यमंत्री इस मौके पर कलाकारों के साथ इतने भाव-विभोर हो गए कि बस्तर बैंड में शामिल नन्ही कलाकार जया सोढ़ी को गोद में उठाया और उसे प्रोत्साहित किया। साथ मंे अनुसूचित जाति एवं जनजाति मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम और संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत भी थिरकते नजर आए।

गौरतलब है कि बस्तर बैंड की स्थापना कला मर्मज्ञ श्री अनुप रंजन पाण्डेय ने की है। अपनी खूबियों के लिए बस्तर बैंड को आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाता है। इस बैंड में चार साल के बच्चे से लेकर 77 साल तक के बुजुर्ग कलाकार शामिल हैं। कला क्षेत्र में योगदान के लिए श्री अनुप रंजन पाण्डेय को पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। बस्तर बैंड के कलाकार अलग-अलग जनजातीय समुदाय से हैं। यह कलाकार वाद्य यंत्रों को बजाने के साथ ही इन वाद्य यंत्र के निर्माण में महारात हासिल है।

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