झारखंड विधानसभा में  हंगामें  के बीच पढ़ा गया शोक संदेश, स्पीकर नाराज

झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र का आगाज शुक्रवार को विपक्ष के शोर-शराबे ,हंगामें के बीच हुआ। माना जा रहा है कि विधानसभा में पहली बार शोक संदेश के दौरान विपक्ष ने शोर मचाया।

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रांची| झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र का आगाज शुक्रवार को विपक्ष के शोर-शराबे ,हंगामें के बीच हुआ। माना जा रहा है कि विधानसभा में पहली बार शोक संदेश के दौरान विपक्ष ने शोर मचाया। भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने का सवाल उठाया। शोर शराबे के बीच अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो शोक संदेश के दौरान शांति बनाए रखने की परंपरा, संसदीय मर्यादा और सदन की गरिमा की दुहाई देते रहे पर भाजपा के भानु प्रताप शाही, मनीष जयसवाल, अमर बाउरी, सीपी सिंह एवं अन्य बार-बार शोर करते रहे।

सत्र के प्रारंभ में जब स्पीकर ने शोक संदेश पढ़ना शुरू किया तो भानु प्रताप शाही और अमर बाउरी ने नेता प्रतिपक्ष का सवाल उठाया। स्पीकर ने उन्हें शांत कराया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने शोक संदेश पढ़ना शुरू किया तो फिर भाजपा के सदस्य शोर करने लगे। शोर तब मचा ज्यादा जब उनकी तरफ से सचेतक विरंची नारायण ने शोक संदेश पढ़ना शुरू किया। भाजपा सदस्य मनीष जयसवाल ने आसन से कहा कि जब नेता विपक्ष सदन में हैं तो अन्य को शोक संदेश पढ़ने के लिए कहना अनुचित है।

स्पीकर के हस्तक्षेप पर भी शोर होता रहा। इस बीच विरंची नारायण ने कहा कि उनका शोक संदेश पढ़ा हुआ मान लिया जाए। यही तेवर विपक्ष ने प्रदीप यादव के क्रम में भी रखा। शोक प्रकाश संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम, आजसू के नेता सुदेश कुमार महतो, राजद से मंत्री सत्यानंद भोक्ता, प्रदीप यादव, निर्दलीय विधायक सरयू राय, अमित यादव ने भी पढ़ा। सदन की कार्यवाही के बाद कार्य मंत्रणा समिति की बैठक हुई।

सदन की गरिमा के विपरीत शोक संदेश के समय विपक्ष के शोर शराबे पर स्पीकर ने दुख जताते हुए कहा कि दिवंगत आत्माओं को श्रद्घासुमन अर्पित करना सबका धर्म है। हमलोग भी कल गुजरेंगे। हमारे लिये भी शोक प्रकाश होगा। दो मिनट का समय कोई भी दे सकता है। विपक्ष शांति बनाये रखे।

मानसून सत्र के दौरान कोरोना काल की विभिषिका भी देखने को मिली। माना जा रहा है कि मानसून सत्र के दौरान अब तक का सबसे लंबा शोक प्रकाश पढ़ा गया। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आम और खास शख्सियतों की आत्मा की शांति के लिए मौन रखा गया।

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