हल में जुती बेटियों का सच

बैलों की जगह हल में जुती बेटियों  और किसान का सच कुछ यूँ निकला | दरअसल अखबारों व न्यूज चैनल में बैलों की जगह हल में जुती दो युवतियों की तस्वीरें  प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी|

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डॉ. निर्मल कुमार साहू 

बैलों की जगह हल में जुती बेटियों और किसान का सच कुछ यूँ निकला | दरअसल  एक अखबार व न्यूज चैनल में बैलों की जगह हल में जुती दो युवतियों की तस्वीरें  प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी| उनकी रिपोर्ट के मुताबिक गरीब किसान को खेत बेचने की नौबत आ गई  थी जिसे बचाने का बीड़ा उठाते उनकी बेटियों ने हल में बैलों की जगह जुतने का फैसला लिया |

इतना ही नहीं  इस खबर पर संज्ञान लेते सीएम भूपेश ने 4 लाख रूपये की सहायता मंजूर कर दी |

इधर जब अन्य पत्रकार  इसके कवरेज के लिए पहुंचे तो मामला इसके ठीक उल्टा निकला |

अमलसाय नामक उक्त किसान संपन्न है , वह ट्रैक्टर, बोरवेल व अन्य कृषि उपकरणों से सुसज्जित आधुनिक खेती करता है ।

वहीं जिन लड़कियों को किसान अमलसाय की बेटियां बताई जा रही हैं उनमें एक रिश्तेदार व एक पड़ोस की युवती है| दोनों मजदूरी करने उस किसान के खेत में पहुंची थी।

हैरत की बात यह भी कि इस किसान के दो बेटे हैं, उनमें से एक ड्राइवर है|

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किसान अमलसाय एक फसल लेने के बाद दूसरी की तैय्यारी में है | वह मक्का लगाने के लिए जुताई कर रहा है | यानि वह दोहरी फसल लेता है |

अमलसाय के मुताबिक उसने खेत की जुताई ट्रेक्टर से की | मक्का लगाने के लिए सीधी लाइन की जरूरत पड़ती है, बैल इधर-उधर होते रहते हैं लिहाजा वह बैलों की जगह इन दोनों युवतियों का सहारा लिया |

अमलसाय के मुताबिक खेत में जब वह काम कर रहा था कुछ लोग आये और फोटो खिंच ली  और ऐसा बोलने के लिए कहा था  |

इस सम्बन्ध में पूर्व जनपद सदस्य बलदेव मरकाम कहते हैं –मामला मेरे गाँव के किसान का है | किसान संपन्न है| मक्का लगाने के लिए इस तरह खींचना पड़ता है | अंकुरण के लिए हलकी जुताई की जाती है |

कांग्रेस नेता रितेश पटेल कहते हैं,  प्रकाशित खबरों से ऐसा जान पड़ता है कि कहीं ना कहीं प्रदेश सरकार की योजनाओं की कमियां बताते किसानों को आर्थिक संकट से जूझना  बताने की कोशिश की जा रही है जबकि प्रदेश सरकार के कृषि योजनाओं से आज किसान दिनों दिन प्रगति कर किसान संपन्न हो रहे हैं|  इन्ही योजनाओं का प्रतिफल है कि आज  किसान अमलसाय भी दोहरी फसल का लाभ ले उन्नत कृषि कर रहा है।

बहरहाल , सीएम को इस पर संज्ञान ले ने के लिए मजबूर कर देने वाले  इस  प्रमुख अख़बार  की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान स्वाभाविक है | इसे कवर करने वाले पत्रकार  की इस तरह की गैर जवाबदेही और नीयत ,उसके पत्रकारिता के लम्बे सफ़र के लिए पूर्ण विराम  न बन जाये |

इससे इतर,  प्रशासन के अफसर भी जिन्होंने आँख- कान खोले बिना उस खबर की सराहना करते  एक तरह से स्वीकृति दे दी और फिर सीएम ने  4 लाख रूपये की स्वीकृति भी |

बैलों की जगह जुतने वाली बेटियों के परिवार को 4 लाख की मदद मंजूर  

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