बसना की मेट पूनमदास से बढ़ा मनोबल, मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी

बसना ब्लॉक के ग्राम पंचायत खोगसा पलसाभाड़ी की बारहवीं तक पढ़ी पूनमदास मानिकपुरी इन दिनों मेट बनकर कोरोना वॉरियर्स की तरह गाँव के विकास में जुटी हुई है | पूनमदास  के कार्य से अन्य महिलाओं को मनोबल प्राप्त हुआ है। इससे ग्राम पंचायत के विकास में एवं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्यो में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।

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महासमुन्द| बसना ब्लॉक के ग्राम पंचायत खोगसा पलसाभाड़ी की बारहवीं तक पढ़ी पूनमदास मानिकपुरी इन दिनों मेट बनकर कोरोना वॉरियर्स की तरह गाँव के विकास में जुटी हुई है | पूनमदास  के कार्य से अन्य महिलाओं को मनोबल प्राप्त हुआ है। इससे ग्राम पंचायत के विकास में एवं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्यो में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।

बता दें इस वित्तीय वर्ष में ग्राम पंचायत में कुल 20453 मानव दिवस सृजित हुआ है, जिसमें महिलाओं की सहभागिता का प्रतिशत 51.47 एवं पुरूष श्रमिकों का प्रतिशत केवल 48.53 प्रतिशत रहा।

बसना ब्लॉक मुख्यालय से 25 कि.मी. दूर ग्राम पंचायत खोगसा की महिला मेट की जिम्मेदारी निभा रही पूनम दास मानिकपुरी का जीवन संघर्ष पूर्ण रहा है। मजदूर परिवार से होने के कारण परिवार के सदस्यों के साथ मनरेगा कार्य में मजदूरी करने जाया करती थी, जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण होता था।

बारहवीं कक्षा तक पढ़ी पूनमदास मानिकपुरी की पढ़ाई बारहवीं के बाद ही छूट गई थी। मनरेगा कार्यों में जाने के कारण योजना के संबंध में थोड़ी बहुत जानकारी उन्हें पहले से ही थी। पढ़ाई छूटने के बाद एक वर्ष से अपने माता-पिता एवं भाई के साथ मनरेगा में मजदूरी कार्य में जाती थी। इस दौरान उन्हें ग्राम रोजगार सहायक  नंदकुमार चौहान से महिला मेट के संबंध में जानकारी प्राप्त हुई।

जानकारी प्राप्त होने पर पूनम दास मानिकपुरी के भीतर उम्मीद की किरण जगी और उन्होंने अपना पंजीयन महिला मेट के रूप में कराने के बाद जनपद पंचायत स्तर पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त किया।

कोरोना की दस्तक के साथ रोजगार पर असर पड़ा। ऐसे में पूनमदास मानिकपुरी ने हिम्मत दिखाते हुए कोरोना काल में फ्रंटलाईन वारियर बन कर ग्राम पंचायत में चल रहे तालाब गहरीकरण कार्य एवं डबरी निर्माण कार्य में महिला मेट के रूप में कार्य कर ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया।

इस संबंध में पूनम दास मानिकपुरी बताती हैं कि महात्मा गांधी नरेगा योजना में मेट के रूप में कार्य करने से उसे ग्राम पंचायत स्तर में बहुत से जानकारियां  प्राप्त हुई।  वर्तमान में महिला मेट के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त होने से बेहतर कार्य करने का प्रोत्साहन मिला है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में ग्राम पंचायत के मनरेगा श्रमिक परिवारों को 100 दिवस का रोजगार प्राप्त हो चुका है, जिसमें उनका परिवार भी शामिल है।

file photo

पूनम दास ने बताया कि महिला मेट के रूप में कार्य करने से समाज में मान-सम्मान मिलने के साथ कई चुनौतियां भी सामने आयी। परंतु महिला मेट के रूप में कार्य करते हुए उन्हें आत्म संतुष्टि प्राप्त हुई कि वह संकट काल से लोगों को उबारने हेतु कार्य कर सकीं।

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