पिथौरा के दफ्तरों में फाइव डे वीक:  समय पर बस ताले खुल रहे

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अपने दफ्तरों में फाइव डे वीक लागू कर दिया |सरकार के इस फैसले का महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लाक के दफ्तरों में पड़ताल की गई | बस अब भृत्य /चपरासी 10 बजे आकर दफ्तर का ताला खोल जाता है और 6 बजे बंद करता है | कर्मचारी पहले की तरह ही आ जा रहे हैं|

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पिथौरा | छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अपने दफ्तरों में फाइव डे वीक लागू कर दिया |सरकार के इस फैसले का महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लाक के दफ्तरों में पड़ताल की गई | deshdigital ने पाया हालात पहले की तरह ही हैं | बस अब भृत्य /चपरासी 10 बजे आकर दफ्तर का ताला खोल जाता है और 6 बजे बंद करता है | कर्मचारी पहले की तरह ही आ जा रहे हैं|

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अपने दफ्तरों में फाइव डे वीक लागू कर दिया | सरकार का कहना था कर्मचारियों को ज्यादा आराम मिलेगा| तनाव नहीं रहेगा | वे घूमने फिरने जायेंगे , पर्यटन स्थल गुलजार होंगे और बाजार गुलजार हो जायेगा |  2 दिन छुट्टी रहने के कारण  सरकार के पैसे भी बचेंगे | बस सरकार ने छुट्टी के एवज में काम के दो घण्टे प्रतिदिन बढ़ाने की घोषणा की |

छत्तीसगढ़ सरकार के दफ्तरों में फाइव डे वीक फैसले का महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लाक के दफ्तरों में पड़ताल की गई | deshdigital ने पाया हालात पहले की तरह ही हैं | बस अब भृत्य /चपरासी 10 बजे आकर दफ्तर का ताला खोल जाता है और 6 बजे बंद करता है | कर्मचारी पहले की तरह ही आ जा रहे हैं|

वहीँ मुख्यालय में ना रह कर प्रतिदिन राजधानी या जिला मुख्यालय से आना जाना करने वाले कर्मियों एवम अफसरों की तो मानो लॉटरी ही लग गयी ।

दफ्तर खुले कुर्सियां खाली

शासन के आदेशों का पालन हो रहा है या  नहीं यह देखने किये गए स्टिंग में नगर के सबसे प्रमुख कार्यालयों में जनपद, तहसील, रजिस्ट्री ,आधार सेंटर, लोक सेवा यांत्रिकी , लोक निर्माण विभाग,सिंचाई विभाग ,वन विभाग सहित करीब सभी सरकारी कार्यालय के मुख्य द्वार खुले दिखाई दिए परन्तु अंदर कक्ष में सवा दस बजे तक अंधेरा ही पसरा दिखा।

क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि,व्यापारी  और किसान

नीलांचल सेवा समिति के संस्थापक संपत अग्रवाल कहते हैं,  इस नियम को लागू करने के पीछे क्या उद्देश्य है यह समझ में  नहीं आया । पूर्व से अपनी लापरवाही के लिए प्रसिद्ध शासकीय कर्मियों को लाभ पहुँचाने के लिए ही समय बदलना प्रतीत होता है। इससे आम जनता एवम खास कर कृषक एवम ग्रामीण खासी परेशानी में दिख रहे हैं । किसानों को अपना काम करवाने अब और अधिक भीड़ का सामना करना पड़ेगा जो कि अतिरिक्त भार है।

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स्थानीय व्यापारी एकता मंच के अध्यक्ष अनुप अग्रवाल ने बताया कि इस समय परिवर्तन से अफसर कर्मी तो खुश है परन्तु आमलोगों के लिए यह निर्णय कतई उचित नहीं है।

कृषक किशोर प्रधान ने बताया कि अब हम ग्राम वालो का एक दिन पूरी तरह खराब हो रहा है। पहले रविवार को छोड़ कर किसी भी दिन मुख्यालय जाने से प्रमाण पत्र एवम अन्य सरकारी कार्यो के ये सुविधा मिलती थी जो अब बन्द हो गयी।

पूर्व सैनिक किशोर बघेल ने बताया कि पहले ही अफसर साढ़े दस का समय निर्धारित होने के बाद भी 11 से साढ़े 11 बजे ही कार्यालय पहुचते थे। और शनिवार को दोपहर तक ही कार्यालय में बैठ कर अपने घरों के लिए निकल पड़ते थे। इसके बाद सोमवार को भी ये अफसर दोपहर बाद ही घर से अपने कार्यालय पहुचते थे। परन्तु अब इन्हें शनिवार की पूरी छुट्टी मिलने से ये कर्मी शुक्रवार दोपहर से ही कार्यालय छोड़ना प्रारम्भ कर रहे है और सोमवार दोपहर तक कार्यालय पहुँच रहे हैं |

शीतला समाज के पूर्व अध्यक्ष अनन्त सिंह वर्मा बताते है कि 5 दिन काम 2 दिन आराम के सरकारी निर्देश का प्रभाव आम जनता किसान के साथ व्यवसायियों पर भी पड़ेगा जिसका सीधा असर सरकार की विश्वसनीयता पर भी पड़ सकता है।

कपड़ा व्यापारी त्रिलोक सिंह अजमानी ने बताया कि शासन के इस निर्देश से मात्र अफसर कर्मियों का ही फायदा है। आम जनता गरीब किसान मजदूर पहले शनिवार को भी किसी काम से मुख्यालय आते थे तो अपना सरकारी कान भी निपटा लेते थे परन्तु अब आधा सप्ताह ही काम के रह जाएंगे जिससे सरकारी कार्यालयों में भीड़ बढ़ेगी और परेशानी भी।

पढ़ें : ’फाईव डे वीक’ की असफलता के लिए कौन जिम्मेदार ?

कर्मचारी संगठन की दलील

इधर तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के अध्यक्ष उमेश दीक्षित ने कहा कि 2 दिन छुट्टी की मांग कभी भी किसी कर्मचारी संगठन ने नहीं  की है।अच्छा होता कि सरकार इसकी बजाय कर्मचारियों के वित्तीय मामलों का निराकरण करे।

बहरहाल शासन द्वारा सरकारी कार्यालयों के लिए 5 दिन काम दो दिन आराम के निर्देश से प्रदेश के किसी भी वर्ग के लोग खुश नही है।सभी वर्ग इसे काले कानून की तरह देख रहे है। मात्र अधिकारी कर्मचारी वर्ग इस घोषणा से प्रसन्न दिखाई दे रहे है।

कुछ कार्यालयों में पदस्थ कार्य को प्राथमिकता में रखने वाले कर्मी भी इस बात को मानते है कि पहले शनिवार आधा दिन होते हुए भी आम तौर पर अफसर मुख्यालय नही आते थे अब 2 दिन की अधिकृत छुट्टी होने के कारण सप्ताह में मात्र तीन दिन ही कार्य सुचारू रूप से चलेंगे।जिससे कार्यालयों में भीड़ बढ़ेगी और जल्दी काम करवाने की होड़ में दलाली प्रथा भी बढ़ना तय है।

deshdigital  के लिए  रिपोर्ट रजिंदर खनूजा

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