घर की जिम्मेदारी, बीमार पिता के इलाज के बीच की पढ़ाई, हासिल किया गोल्ड मेडल

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के पिथौरा में अत्यंत निर्धन परिवार में जन्मी एक बेटी ने अपने परिवार का गुजारा करने छोटा सा कारोबार करते हुए पढ़ाई की और अब उसने पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से छत्तीसगढ़ी साहित्य में गोल्ड मेडल हासिल किया.

0 1,610

- Advertisement -

पिथौरा| छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के पिथौरा में अत्यंत निर्धन परिवार में जन्मी एक बेटी ने अपने परिवार का गुजारा करने छोटा सा कारोबार करते हुए पढ़ाई की और अब उसने पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से छत्तीसगढ़ी साहित्य में गोल्ड मेडल हासिल किया.

उपासना यादव को आज भी नगर के लोग बहुत कम ही जानते हैं. उसकी शिक्षा को लेकर न कभी किसी मीडिया का और न ही कभी इस बेटी की ओर किसी का ध्यान ही गया. रविवार को पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी के छत्तीसगढ़ी साहित्य में एम ए अंतिम का रिजल्ट आया. इसमें पिथौरा के एक फुटपाथ पर जुता-चप्पल बेचने एवम भवन ढलाई हेतु आवश्यक सेंट्रिंग मटेरियल किराये पर देने का छोटा सा कारोबार करने वाली उपासना यादव का नाम गोल्ड मेडलिस्ट में  था. इस उपलब्धि की अपनों के साथ बाँटने निकली उपासना के साथ इस प्रतिनिधि ने चर्चा की.

उपासना समेत उसके पड़ोसियों ने जो बातें बताईं वह किसी फिल्म की स्टोरी से कम नहीं थी. उपासना अपने पिता की दूसरी संतान है उनसे बड़ा एक भाई और छोटी एक बहन भी है. 3 वर्ष पूर्ण होते ही उसके पिता सुरेश यादव ने उसे पिथौरा के सरस्वती शिशु मंदिर में भर्ती कराया. इसके बाद शासकीय कन्या शाला में उसने 12वी तक कि पढ़ाई की. घर में कोई पढ़ा-लिखा नहीं था इसके बाद भी वह प्रत्येक परीक्षा में स्कूल में प्रथम स्थान पर रही. हालाकि इसके बावजूद उसे कभी भी वह सम्मान नहीं मिला जो अन्य टॉपर बच्चों को मिलता था.

इसके बाद भी वह अपनी धुन में लगी रही, वह कभी  निराश नहीं हुई और पढ़ाई का क्रम जारी रखा. पिथौरा के सरकारी कॉलेज से ही उसने बीए तक पढ़ाई की यहां भी वह 76 प्रतिशत अंक लेकर टॉप किया. इसके बाद आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उसने भाषा साहित्य में सी वी रमन यूनिवर्सिटी से एम ए किया. एम ए करने के बाद उपासना ने सीजी पीएससी के परीक्षा दी, परन्तु कुछ ही अंकों से पीछे रह गई.

लिहाजा अपनी पढ़ाई का क्रम जारी रखते उसने प रविशंकर यूनिवर्सिटी में एम ए के लिए प्रवेश परीक्षा दी. इस परीक्षा में पहली बार में ही उसे सफलता मिली और उसका चयन छत्तीसगढ़ी साहित्य में एम ए के लिए हो गया. नियमित एम ए करते उसे अपने घर को चलाने का दबाव भी था परन्तु पिता सुरेश यादव की हिम्मत ने उसे रविशंकर विश्वविद्यालय में ही एम ए करने मजबूर कर दिया, और आज उसने गोल्ड मेडल हासिल कर लिया.

- Advertisement -

 छोटी सी उम्र में जीवन की बहुत परीक्षाएं 

अपनी पढ़ाई के दौरान उसे अनेक परीक्षाओं का सामना करना पड़ा. पहले बीए तक कि पढ़ाई उसने घर खर्च हेतु फुटपाथ में जूता चप्पल बेच कर की. दुकान में ही समय निकाल कर वह हमेशा पढती रहती थी. इसके बाद रायपुर रविशंकर यूनिवर्सिटी में उसका चयन होने के बाद पिता सुरेश यादव को लकवा मार गया जिससे उसकी पढ़ाई पर सीधा असर होने लगा था. वह लकवागस्त पिता को  बेहतर इलाज के लिए राजस्थान लेकर गई. वहां से वापस आने पर उसने रायपुर आकर एम ए की तैयारी की और यूनिवर्सिटी में 74 फीसदी अंक लेकर टॉप कर उसने गोल्ड मेडल हासिल किया.

पीएससी करना चाहती है उपासना

उपासना ने इस प्रतिनिधि को बताया कि उसके अपने परिजनों ने लड़की है बाहर मत भेजो-पढ़ाओ, साथ ही तरह-तरह की बातें करते कि कुछ पलके लिए मैं हतोत्साहित हो जाती. पर धीरज नहीं खोया और दुगुने उत्साह ले पढाई में जुट जाती. पूरा घर चलाने की जिम्मेदारी और पापा के इलाज  की जिम्मेदारी का भी निर्वहन करती रही. पीएससी की तैयारी भी उसने इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के बल पर की. पिछली पीएससी परीक्षा में वह सफलता से मात्र 4 अंक पीछे रह गई.

बहरहाल, आर्थिक कारणों से अब भी यह बेटी अपन छोटे से कारोबार के साथ पीएससी की तैयारी में जुटी है. उसे भरोसा है कि मेहनत और माता-पिता के आशीर्वाद के कारण वह एक दिन जरूर अपने मकसद में कामयाब होगी, और सपनों को पूरा कर सकेगी.

deshdigital केलिए रजिंदर खनूजा

 

 

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.