बारनवापारा से लगे दर्जन भर गाँवों में आजादी के 75 साल बाद भी बिजली नहीं 

बारनवापारा अभ्यारण्य से लगे कोई दर्जन भर से अधिक ग्रामों में आजादी के 75 साल बाद भी बिजली नहीं  पहुंची है।लिहाजा इस क्षेत्र के ग्रामीण आज भी  बिजली और बोरवेल के साफ पानी से वंचित हैं।

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पिथौरा| समीप के बारनवापारा अभ्यारण्य से लगे कोई दर्जन भर से अधिक ग्रामों में आजादी के 75 साल बाद भी बिजली नहीं  पहुंची है।लिहाजा इस क्षेत्र के ग्रामीण आज भी  बिजली और बोरवेल के साफ पानी से वंचित हैं। ग्रामीण बताते हैं  कि प्रत्येक चुनाव के पहले बिजली पहुचने का वायदा तो होता है परन्तु यह अब तक अंजाम तक नहीं  पहुंचा।  कहने को सोलर सिस्टम भर है पर 2 घंटे में ढिबरी या लालटेन ही काम आता है।

क्षेत्र का प्रसिद्ध बारनवापारा अभ्यारण्य कुछ ग्रामीण क्षेत्र के लिए अभिशाप बन गया है।अभ्यारण्य के नजदीक के ग्राम होने के कारण क्षेत्र के ग्रामीण आज तक बिजली से वंचित है। ग्रामीणों को बिजली की सुविधा नही मिलने से यहां लोग आज के लिए अति आवश्यक मोबाइल सुविधा का लाभ भी नहीं  उठा पाते।बच्चों की रात में पढ़ाई नही हो पाती।इसके अलावा बिजली नहीं  होने के नुकसान लगातार ग्रामीण उठा रहे हैं ।

अपना दुर्भाग्य मानते है वनवासी 

क्षेत्र के वनवासी जनप्रतिनिधियों द्वारा उनके मौलिक अधिकारों को नजरअंदाज करने को अपना दुर्भाग्य मानते है।क्षेत्र के लोग बगैर बिजली के अभी भी आज से 40 वर्ष पूर्व की दुनिया में जी रहे हैं । भीषण गर्मी  में जहाँ एक मिनट के लिए भी बिजली नहीं  होने से लोग बेचैन हो जाते है वही उक्त  ग्रामों के ग्रामीणों को बिजली क्या होती है इसका भी कम ही ज्ञान है।

इस क्षेत्र के ग्रामीण ज़ब अपने घर से बाहर किसी शहर में जाते हैं  तब वहां बिजली की रोशनी उन्हें किसी आश्चर्य की तरह लगती है।क्षेत्र के लोगो को कूलर फ्रिज क्या है पता नहीं ।कम्प्यूटर क्या है बच्चों ने देखा नहीं ।किसी बच्चे या बूढ़े को अगर इस भीषण गर्मी में बीमार हो जाय तो पंखे किसे कहते है पता नहीं | पुराने रद्दी के पेपर से हवा देकर बीमार व्यक्ति को थोड़ी राहत दिया जाता है । बीमार बच्चे बूढ़े तो दूर की बात है आज के दौर के भीषण गर्मी में सभी की हालत खराब है। परन्तु ग्रामीणों का मानना है कि वे इनके लिए वे कर भी क्या सकते हैं ।

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 सरकार से भरोसा उठा ग्रामीणों का 

वनांचल क्षेत्र के निवासी प्रदीप कुमार प्रधान ने इस प्रतिनिधि से चर्चा करते हुए बताया कि रायतुम , रवान,बड़गांव ,एवम मोहन्दा सहित कोई दर्जन भर से अधिक वन ग्रामो में बिजली नहीं  पहुँच पाई है। जिसके कारण वे देश दुनिया से लगभग कट से गए हैं । होश संभाले के बाद से उनके पूर्वजो एवम अब उनकी पीढ़ी भी लोकसभा एवम विधानसभा चुनावों में ग्राम में बिजली पहुचाने के आश्वासनों पर ही मतदान करते रहे हैं । इसके बाद भी अब तक ऐसा कोई जनप्रतिनिधि नही आया जो उनको मूलभूत सुविधा दिला सके। श्री प्रधान ने बताया कि शहरों के बच्चों को यह नहीं पता कि बिजली बंद क्या होता है।जबकि इस क्षेत्र के बच्चों को यह नहीं पता कि बिजली क्या होती है।बिजली नहीं होने से इस क्षेत्र के बच्चे आज भी कंप्यूटर एवम मोबाइल से कोसों  दूर है।

सोलर सिस्टम मौजूद,परन्तु कोई मतलब नहीं 
ग्रामीणों के अनुसार क्षेत्र के घरों में सोलर से प्रकाश की व्यवस्था की गई है।परन्तु इस सोलर से दिन में भी मोबाइल चार्ज नहीं  किया जा सकता। रात में एक दो एल ई डी बल्ब कोई आधा से एक घण्टे तक रोशनी देता है। उसके बाद ये सोलर किसी काम के नहीं  रहते।

ग्रामीणों ने बताया कि बार अभ्यारण्य से मात्र 5 किलोमीटर दूर स्थित अकलतरा में बिजली पहुँच  चुकी है।फिर अभ्यारण्य से कोई 15 से 20 किलोमीटर दूर वन ग्रामों  बिजली क्यों नहीं  पहुचाई जा रही यह बात समझ से परे है।ग्रामीणों का मानना है कि जब बगैर बिजली के किसी जनप्रतिनिधि/ अफसर को रात कटनी पड़े तब उन्हें ग्रामीणों की तकलीफों का पता चल सकेगा।बहरहाल एक बार पुनः विधान सभा चुनाव करीब है।अब ग्रामीण उसे ही अपना जनप्रतिनिधि चुनने बेचैन है जो उनके कंधे से कंधा मिलाकर उनकी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करने तैयार रहे।

deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा की रिपोर्ट

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