भगवान राम समरसता, सौहार्द और प्रेम के प्रतीक : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

भगवान राम समरसता, सौहार्द और प्रेम की उत्कृष्टता के प्रतीक है यह विचार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अयोध्या में राम कथा पार्क में रामायण कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए।

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अयोध्या । भगवान राम समरसता, सौहार्द और प्रेम की उत्कृष्टता के प्रतीक है यह विचार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अयोध्या में राम कथा पार्क में रामायण कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए।

राष्ट्रपति ने कहा कि राम के बिना अयोध्या, अयोध्या है ही नहीं। अयोध्या तो वही है, जहां राम हैं। इस नगरी में प्रभु राम सदा के लिए विराजमान हैं, इसलिए यह स्थान सही अर्थों में अयोध्या है।

उन्होंने कहा रामायण ऐसा विलक्षण ग्रंथ है जो रामकथा के माध्यम से विश्व समुदाय के समक्ष मानव जीवन के उच्च आदर्शों और मर्यादाओं को प्रस्तुत करता है।

मुझे विश्वास है कि रामायण के प्रचार-प्रसार हेतु उत्तर प्रदेश सरकार का यह प्रयास भारतीय संस्कृति तथा पूरी मानवता के हित में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।

इसके अलावा राष्ट्रपति ने कहा कि अयोध्या का शाब्दिक अर्थ है, ‘जिसके साथ युद्ध करना असंभव हो’। रघु, दिलीप, अज, दशरथ और राम जैसे रघुवंशी राजाओं के पराक्रम व शक्ति के कारण उनकी राजधानी को अपराजेय माना जाता था, इसलिए इस नगरी का ‘अयोध्या’ नाम सर्वदा सार्थक रहेगा।

वहीं, रामायण कॉन्क्लेव के दौरान उन्‍होंने कहा कि रामायण में दर्शन के साथ-साथ आदर्श आचार संहिता भी उपलब्ध है जो जीवन के प्रत्येक पक्ष में हमारा मार्गदर्शन करती है।

संतान का माता-पिता के साथ, भाई का भाई के साथ, पति का पत्नी के साथ, गुरु का शिष्य के साथ, मित्र का मित्र के साथ, शासक का जनता के साथ और मानव का प्रकृति व पशु-पक्षियों के साथ कैसा आचरण होना चाहिए, इन सभी आयामों पर, रामायण में उपलब्ध आचार संहिता, हमें सही मार्ग पर ले जाती है।

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रामचरितमानस में एक आदर्श व्यक्ति और एक आदर्श समाज दोनों का वर्णन मिलता है। रामराज्य में आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ आचरण की श्रेष्ठता का बहुत ही सहज और हृदयग्राही विवरण मिलता है:

नहिं दरिद्र कोउ, दुखी न दीना।
नहिं कोउ अबुध, न लच्छन हीना।।

रामकथा की लोकप्रियता भारत में ही नहीं बल्कि विश्वव्यापी है। उत्तर भारत में गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित-मानस, भारत के पूर्वी हिस्से में कृत्तिवास रामायण, दक्षिण में कंबन रामायण जैसे रामकथा के अनेक पठनीय रूप प्रचलित हैं।

विश्व के अनेक देशों में रामकथा की प्रस्तुति की जाती है। इन्डोनेशिया के बाली द्वीप की रामलीला विशेष रूप से प्रसिद्ध है। मालदीव, मॉरिशस, त्रिनिदाद व टोबेगो, नेपाल, कंबोडिया और सूरीनाम सहित अनेक देशों में प्रवासी भारतीयों ने रामकथा व रामलीला को जीवंत बनाए रखा है।

रामकथा का साहित्यिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव मानवता के बहुत बड़े भाग में देखा जाता है। भारत ही नहीं विश्व की अनेक लोक-भाषाओं और लोक-संस्कृतियों में रामायण और राम के प्रति सम्मान और प्रेम झलकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मैं तो समझता हूं कि मेरे परिवार में जब मेरे माता-पिता और बुजुर्गों ने मेरा नाम-करण किया होगा तब उन सब में भी संभवतः रामकथा और प्रभु राम के प्रति वही श्रद्धा और अनुराग का भाव रहा होगा जो सामान्य लोकमानस में देखा जाता है। रामायण में राम-भक्त शबरी का प्रसंग सामाजिक समरसता का अनुपम संदेश देता है।

उन्होंने कहा कि इस रामायण कॉन्क्लेव की सार्थकता सिद्ध करने हेतु यह आवश्यक है कि राम-कथा के मूल आदर्शों का सर्वत्र प्रचार-प्रसार हो तथा सभी लोग उन आदर्शों को अपने आचरण में ढालें।

मैं कामना करता हूं कि जिस प्रकार रामराज्य में सभी लोग दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्त थे उसी प्रकार हमारे सभी देशवासी सुखमय जीवन व्यतीत करेंगे।

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