टिप्पणी: निजीकरण की ओर दो रेस्ट हाउस !

अगर इस तरह चलता रहा तो इनकी हालत धर्मशाला से भी गई गुजरी हो जाएगी | सरकारी कर्मियों , अफसरों ,मंत्रियों को किसी दूसरे ठिकाने की तलाश करनी होगी | हम बात कर रहे हैं पीडब्लूडी पिथौरा के दो सरकारी रेस्ट हाउस की | जो इन दिनों आये दिन स्थानीय पार्टियों और बैठकों के चलते चर्चा का विषय बना हुआ है |

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रजिंदर खनूजा

अगर इस तरह चलता रहा तो इनकी हालत धर्मशाला से भी गई गुजरी हो जाएगी | सरकारी कर्मियों , अफसरों ,मंत्रियों को किसी दूसरे ठिकाने की तलाश करनी होगी | हम बात कर रहे हैं पीडब्लूडी पिथौरा के दो सरकारी रेस्ट हाउस की | जो इन दिनों आये दिन स्थानीय पार्टियों और बैठकों के चलते चर्चा का विषय बना हुआ है | इस सम्बंध में पी डब्लू डी के एस डी ओ से चर्चा हेतु सम्पर्क का कई बार प्रयास किया गया परन्तु उन्होंने मोबाइल रिसीव नहीं किया |

महासमुंद जिले के पिथौरा नगर में लोक निर्माण विभाग के दो रेस्ट हाउस हैं |निजीकरण की ओर बढ़ते देश में अब इन दोनों का भी एक तरह से निजीकरण होता दिख रहा है | वैसे आम जनता से दूर रखे जाने वाले इन रेस्ट हॉउस पर स्थानीय गुटों, राजनीतिक दलों के द्वारा इस तरह इस्तेमाल हो रहा है कि अब जिनके लिए बनाया गया है वे भी हालत देख कहीं दूसरा ठौर ढूंढने न लगें |

(रजिंदर खनूजा छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं | महासमुंद जिले के पिथौरा में रह रहे,कई अख़बारों और न्यूज़ पोर्टलों से जुड़े हुए हैं, उनकी रिपोर्ट deshdigital में नियमित रूप से प्रकाशित होती है )

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नियमानुसार सरकारी रेस्ट हाउस में प्रोटोकाल का पालन करना अनिवार्य माना जाता है। क्योंकि राज्य एवम केंद्र सरकार के मन्त्री, सांसद, राज्य सरकार के मंत्री विधायक एवम पदाधिकारियों सहित राज्य एवम केंद्र सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों के दौरे के दौरान उनकी सुविधा हेतु इन रेस्ट हाउस का उपयोग किया जाना है।

परन्तु अब स्थानीय अफसरों के रवैये ने इन रेस्ट हाउस को एक धर्मशाला बना दिया है। अब चार दोस्त इकट्ठे होकर इन रेस्ट हाउस में ही पार्टी करते मिल जायेंगे। सामाजिक, राजनीतिक मीटिंगों हेतु भी इन रेस्ट हाउस का उपयोग हो रहा है।जिससे दौरे पर आने वाले उच्चाधिकारियों को जरुरत पड़ने पर स्थानीय अफसर इन पार्टीजनों से आग्रह कर एक कमरे की मांग कर अपने अफसरों को इसे उपलब्ध कराते है।

अब अफसर भी दबी जुबान से उक्त सरकारी रेस्ट हाउस के दुरुपयोग को रोकना चाहता है परन्तु वर्तमान राजनीतिक पदाधिकारियों के रौब के कारण उनकी आवाज ऊँची नहीं हो पा रही है।

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