अभिभावक, बच्चों के कॅरियर के लिए परामर्शदाता या सलाहकार बनें

पालकों एवं अभिभावकों को बच्चों के लिए दोस्त, किताब, रास्ता एवं सोच की भूमिका निभानी चाहिए, न कि हुक्मरान की। तभी हमारी नई पीढ़ीयां अवसाद से बाहर निकल सकेंगी।

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पालकों एवं अभिभावकों को बच्चों के लिए दोस्त, किताब, रास्ता एवं सोच की भूमिका निभानी चाहिए, न कि हुक्मरान की। तभी हमारी नई पीढ़ीयां अवसाद से बाहर निकल सकेंगी। पिछले दो-तीन दिनों से बेंगलुरू से जिस तरह की खबरें आ रही हैं, वह देश के तमाम पालकों, नीति-निर्माताओं के साथ शिक्षा जगत से जुड़े लोगों तथा सरकार के लिए भी सोचने वाली बात है। दो अलग-अलग घटनाओं में एक कॉलेज छात्रा समेत सात स्कूली छात्र बेंगलुरू से लापता हो गए हैं। उनके घरों से बरामद पत्रों के अनुसार उन्हें पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं थी।

-डॉ. लखन चौधरी

र्नाटक की राजधानी बेंगलुरू इन दिनों ’एजुकेशन हब’ के तौर पर बहुत लोकप्रिय और युवाओं का पसंदीदा जगह बन चुका है। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से मध्य एवं उत्तर भारत से बड़ी संख्या में विद्यार्थी पढ़ने के लिए बेंगलुरू का रूख करने लगे हैं। छत्तीसगढ़ सहित भारतभर के लाखों विद्यार्थी अपना कॅरियर बनाने के लिए पिछले कुछ सालों में भारी संख्या में बेंगलुरू को ठिकाना बनाये हुए हैं। इसकी एक प्रमुख वजह यह भी है कि निजी क्षेत्र के बड़े घरानों ने इस शहर में उच्चशिक्षा का मजबूत, विशाल एवं वैश्विक स्तर का इन्फ्रास्ट्रक्चर भी डेवलप किया है। इन सभी कारणों से बेंगलुरू शहर युवाओं का आर्कषण का केन्द्र है।

लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से बेंगलुरू से जिस तरह की खबरें आ रही हैं, वह निश्चित ही दिल दहलाने वाली तो नहीं, मगर देश के तमाम पालकों, नीति-निर्माताओं के साथ शिक्षा जगत से जुड़े लोगों तथा सरकार के लिए भी सोचने वाली बात है। दो अलग-अलग घटनाओं में एक कॉलेज छात्रा समेत सात स्कूली छात्र बेंगलुरू से लापता हो गए हैं। उनके घरों से बरामद पत्रों के अनुसार उन्हें पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं थी।

इन विद्यार्थियों का कहना है कि वे खेल में अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं, लेकिन उनके पालकों ने उनकी मन की बात नहीं सुनी और उनकी इच्छा के विपरीत कॅरियर बनाने का दबाव बनाया जिसके चलते उनहोंने ऐसा कदम उठाया है। इन स्कूली छात्रों के घरों से बरामद पत्रों के अनुसार छात्रों ने घर इसलिए छोड़ दिया क्योंकि उन्हें पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं थी, वे पढ़ाई के इतर दूसरे पसंदीदा क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं। मगर इसके लिए उनके अभिभावक तैयार नहीं हैं, लिहाजा उन्हें मजबूरन इस तरह का कदम उठाना पड़ रहा है।

विद्यार्थियों द्वारा छोड़े गए पत्र के अनुसार उन्हें पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं है, और वे अच्छा नाम और पैसा कमाकर वापस आएंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तीन लड़कों ने अलग-अलग पत्र लिखे हैं। उनके पत्रों में उल्लेख किया गया है कि ’हम पढ़ाई से ज्यादा खेल में रुचि रखते हैं।

अगर आप हम पर दबाव डालते हैं, तो भी हमारी पढ़ाई करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। हम खेल के क्षेत्र में अपना करियर बनाएंगे। हमें कबड्डी खेल पसंद है। हम इसमें अच्छा नाम कमाएंगे। इस क्षेत्र में और उत्कृष्ट प्रदर्शन करके और उस क्षेत्र में नाम कमाने के बाद लौटेंगे।’ उन्होंने माता-पिता को उनकी तलाशी न करने की बात कही है।

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इस घटना से हमारे तमाम पालकों एवं अभिभावकों को सीखने एवं सबक लेने की आवश्यकता है कि विद्यार्थियों को उनकी इच्छा के अनुसार कॅरियर चुनने देने की स्वतंत्रता देनी या होनी चाहिए। अक्सर हमारे पालकगण अपने बच्चों पर अपनी इच्छा के अनुरूप कॅरियर चुनने का दबाव बनाते हैं, जो कि निहायत अनुचित है। पालकों एवं अभिभावकों को बच्चों के लिए दोस्त, किताब, रास्ता एवं सोच की भूमिका निभानी चाहिए, न कि हुक्मरान की। तभी हमारी नई पीढ़ीयां अवसाद से बाहर निकल सकेंगी।

विद्यार्थियों से भी अपील है कि अपनी बहुमूल्य जिंदगी का निर्णय जल्दबाजी में कतई न करें, और यह सोचें कि उनकी यह जिंदगी सिर्फ उनकी नहीं है। दरअसल में हमारी जिंदगी पर हमारे पालक-अभिभावक, परिवार, समाज, सरकार एवं देश का भी अधिकार होता है। इसलिए पालकों की बातों को एकदम अनदेखा भी नहीं किया जा सकता है। उनको समझाने की जरूरत है।

इधर अभिभावकों को भी समझना है कि कॅरियर का मतलब पढ़ाई या अच्छी नौकरी मात्र नहीं है। इसलिए कॅरियर किसी भी क्षेत्र में बनाया जा सकता है।

वैश्विकरण के युग में आज कॅरियर के ढ़ेर सारे विकल्प उपलब्ध हैं, बल्कि पढ़ाई-लिखाई के अतिरिक्त दूसरे क्षेत्रों में कॅरियर के अधिक बेहतर नये-नये विकल्प मौजुद हैं। ऐसे हालात में पालकों एवं अभिभावकों को यह बात गंभीरता से समझने की जरूरत है।

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पालकों का रूख बच्चों की इच्छाओं के अनुरूप उनके कॅरियर चयन के लिए बच्चों का सहयोग करना होना चाहिए, न कि बच्चों के उपर अपनी मनमर्जी के कॅरियर के लिए दबाव बनाना। जब तक पालक एवं अभिभावक यह बात नहीं समझते हैं तब तक इस तरह की स्थितियां बनती रहेंगी। अभिभावक बच्चों के कॅरियर के लिए परामर्शदाता या सलाहकार बनें, दबाव कतई नहीं बनायें।

(लेखक; प्राध्यापक, अर्थशास्त्री, मीडिया पेनलिस्ट, सामाजिक-आर्थिक विश्लेषक एवं विमर्शकार हैं)

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