पिथौरा क्षेत्र में उत्साह से मनाया गया हलषष्टी

क्षेत्र में हलषष्टी पर्व उत्साह से मनाया गया. महिलाओं में भी व्रत को लेकर काफी उत्साह था. ज्ञात हो कि हलषष्ठी (कमरछठ) का पर्व माताए अपनी संतान की लम्बी उम्र की कामना के लिए करती है.

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पिथौरा|  क्षेत्र में हलषष्टी पर्व उत्साह से मनाया गया. महिलाओं में भी व्रत को लेकर काफी उत्साह था. ज्ञात हो कि हलषष्ठी (कमरछठ) का पर्व माताए अपनी संतान की लम्बी उम्र की कामना के लिए करती है.

स्थानीय कर्मचारी कॉलोनी लहरौद की महिलाओं ने बताया कि हलषष्टी में व्रत रखकर माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना करती है. मान्यता है कि हलषष्टी का व्रत रखने अर्थ ही माताओं द्वारा अपने संतान की लम्बी उम्र की कामना करना है.

सभी मातायें सुबह से लेकर रात तक अपनी संतान की लम्बी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं.  इस व्रत में भगवान शंकर जी की अराधना की जाती है. पूजा हेतु विशेष रुप से भैंस के दूध का ही उपयोग किया जाता है और लाई नारियल और विशेष प्रकार के पसेर चावल से ही प्रसाद बनाया जाता है.

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परम्परा के अनुसार माताओ ने एक सागरी नुमा गड्ढा खोद कर मिट्टी के भगवान शंकर व माता पार्वती की प्रतिमा बनाकर उसकी पूजा अर्चना कि जाती है.

ज्ञात हो कि अपनी संतान की लंबी उम्र और सुख समृद्धि के लिए महिलाएं कमर छठ का व्रत रख कर उपवास रखते है. इसे हल छठ के नाम से भी जाना जाता है यह पर्व छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन महिलाएं पसहर चावल खाती  है. यह चावल मार्केट में डेढ़ ₹100 से लेकर ढाई ₹100 तक किलो में बिका.

इस चावल का अर्थ यह है कि जिसे हल से ना उगा कर जंगल झाड़ियों मेड या दूसरी जगह से जुटाया जाए इसे जुटाने के लिए काफी मेहनत की आवश्यकता होती है हर छठ का व्रत इस चावल के बिना पूरा नही होता.

deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा

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