पिथौरा जनपद पंचायत: पंचायती राज व्यवस्था की इस तरह उड़ रही धज्जियां

ग्राम पंचायत सचिवों पर कोई कार्यवाही नहीं किये जाने से अब अनेक सचिव खुले आम अपने कारनामों को छिपाने नए पदस्थ होने वाले सचिव को प्रभार ही नहीं सौंप रहे हैं. जिससे पंचायती राज व्यवस्था की धज्जियां उड़ती दिख रही हैं.

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पिथौरा|  महासमुन्द जिले की ग्राम पंचायत बोइरलामी के निलम्बित सचिव से जिला पंचायत के निर्देश के बाद भी अब तक स्थानीय जनपद बोइरलामी पंचायत में पदस्थ सरपंच को प्रभार नहीं दिलाया जा सका है. प्रभार नहीं देने के बाद भी स्थानान्तरित होकर अन्य पंचायत सम्भाल रहे ग्राम पंचायत सचिवों पर कोई कार्यवाही नहीं किये जाने से अब अनेक सचिव खुले आम अपने कारनामों को छिपाने नए पदस्थ होने वाले सचिव को प्रभार ही नहीं सौंप रहे हैं. जिससे पंचायती राज व्यवस्था की धज्जियां उड़ती दिख रही हैं.

जिन सरकारी मुलाजिमों को सरकार का एक अंग मान कर नियमों के पालन की जिम्मेदारी सौंपी जाती है. जब वही सरकारी फंड में गड़बड़ी करने लगे तब उस विभाग के उच्च अफसर एवम जन प्रतिनिधि भी इसकी आंच से बच नहीं सकते.

कुछ ऐसा ही जिले के पिथौरा विकासखण्ड में लगातार हो रहा है. पहले एक ऐसा सचिव मिला जिसने अपने सेवाकाल में हुए आधादर्जन स्थानांतरण में कभी अपना चार्ज किसी को नहीं दिया. और पुलिस कार्यवाही से भी बच कर बेख़ौफ़ वापस जनपद पंचायत में पदस्थ होकर बकायदा पूरा वेतन भी ले रहे हैं .

इसके अलावा विकासखण्ड की अनेक ग्राम पंचायतें हैं जहां पदस्थ शासन के नुमाइंदे पंचायत सचिव गड़बड़ी तो खूब करते है. फिर इन गड़बड़ियों को छुपाने के लिए कभी अपने अफसरों या कभी अपने राजनीतिक आकाओं के आशीर्वाद से गड़बड़ी वाले दस्तावेज होने के कारण नव पदस्थ सचिव को प्रभार ही नहीं सौंपते. जिससे केन्द्र एवम राज्य शासन द्वारा विकास हेतु आबंटित राशि विकास कार्यो की बजाय भरष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है.

 बोइरलामी सचिव- निलम्बित, बहाल फिर निलंबित

जिले के पिथौरा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बोइरलामी में विगत 7 वर्षों से पदस्थ पंचायत सचिव वृंदावन विश्वकर्मा द्वारा पहले पंचायत फंड से जमकर गड़बड़ी की.जिसकी सरपंच द्वारा शिकायत की गई और उसे निलम्बित कर दिया गया. इसके बाद वृंदावन की राजनीतिक पहुच से उसे बहाल कर दिया गया.  मिडिया ने एक बार पुनः इस सचिव के बहाली पर जब प्रश्नचिन्ह लगाए तब जिला पंचायत से उक्त सचिव को पुनः निलंबित कर दिया गया. ज्ञात हो कि उक्त सचिव ने निलंबन बहाली का लंबा खेल खेलने के बाद भी अब तक अपने को किसी आपराधिक प्रकरण से बचाये रखा है.

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लाखों के गबन के आरोपी, जाँच टीम को देख भागा निलंबित बोइरलामी पंचायत सचिव बहाल

 

 पिथौरा का कंप्यूटर सेंटर बना ऑनलाइन भ्रष्ट कारनामों का अड्डा

जिला महासमुन्द के मध्य स्थित पिथौरा जनपद कार्यालय के समीप का एक निजी कंप्यूटर सेंटर सचिव एवम सरपंचों में से किसी एक को ही सरकारी राशि आहरण की सुविधा प्रदान कर रहा है. इसके एवज में इस कंप्यूटर सेंटर को प्रतिवर्ष अनुमानित लाखों रुपये की आमदनी मात्र कमीशन से ही होती है.

एक भुक्तभोगी सरपंच ने बताया कि उसके सचिव ने इसी सेंटर से उनके डी एस सी के बगैर ही लाखों का आहरण कर लिया. जिसका उन्हें पता ही नहीं चला. बाद में जनपद के ही कुछ कर्मियों ने उक्त सरपंच को बताया कि एक कंप्यूटर सेंटर से ही ये सब कारनामे होते हैं. चूंकि इस सेंटर की सेटिंग ऊपर तक है लिहाजा निजी कंप्यूटर सेंटर में भी सरपंच या सचिव एक ही व्यक्ति दूसरे को बताए बगैर पंचायत के विभिन्न मदो की राशि का आहरण कर सकता है. जिससे पँचायतों में गड़बड़ी अब आसान हो गयी है.

 जांच रिपोर्ट नहीं मिली–सी ई ओ

उक्त मामले में स्थानीय जनपद के अधिकारी सनत महादेवा ने इस सम्बन्ध में बताया कि बोइरलामी के सचिव द्वारा भारी गड़बड़ी की शिकायत ग्रामीणों द्वारा की गई थी जिसकी जांच हेतु करारोपण अधिकारी आई एस ठाकुर के नेतृत्व में समिति का गठन किया गया था. परन्तु उक्त जांच टीम के सभी सदस्यों का स्थानांतरण अन्यंत्र हो गया है. लिहाजा अब करारोपण अधिकारी दिनेश दीक्षित के नेतृत्व में दो सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. समिति द्वारा अब तक जांच नहीं की गई है. वर्तमान में आरोपी पंचायत सचिव वृंदावन विश्वकर्मा पिथौरा कार्यालय में अटैच है.

बहरहाल एक पंचायत सचिव के कारनामो की जांच हेतु गठित समिति भी इनकी जांच नहीं कर पा रही है जबकि निलंबित सचिव का मुख्यालय पिथौरा ही है. इस एक उदाहरण से पता चलता है कि जनपद क्षेत्र की पंचायतों में भ्रष्ट कारनामों को अंजाम देकर पंचायत का प्रभार नवपदस्थ सचिव को नहीं देने के बाद भी कैसे दूसरी पंचायतों में आरोपी सचिव प्रभार ले लेते हैं और पुनः दूसरे मामलों को अंजाम देने लगते हैं.

deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा 

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