छत्तीसगढ़ में शराबबंदी का जिन्न फिर बाहर निकला

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर कांग्रेस और भाजपा एक बार फिर आमने-सामने हैं। दरअसल में भाजपा की एक बड़ी नेत्री के बयान कि ’राज्य में 2023 में यदि बीजेपी की सरकार बनेगी तो शराबबंदी नहीं होगी...’ के बाद इस संवेदनशील मसले पर दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं।

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छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर कांग्रेस और भाजपा एक बार फिर आमने-सामने हैं। दरअसल में भाजपा की एक बड़ी नेत्री के बयान कि ’राज्य में 2023 में यदि बीजेपी की सरकार बनेगी तो शराबबंदी नहीं होगी…’ के बाद इस संवेदनशील मसले पर दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं। हालाकि मीडिया में इस तरह के बयान के आने के बाद से भाजपा बचाव की मुद्रा में आ गई है, और बयान को तोड़मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगा रही है।

डॉ. लखन चौधरी

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर कांग्रेस और भाजपा एक बार फिर आमने-सामने हैं। दरअसल में भाजपा की एक बड़ी नेत्री के बयान कि ’राज्य में 2023 में यदि बीजेपी की सरकार बनेगी तो शराबबंदी नहीं होगी…’ के बाद इस संवेदनशील मसले पर दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं। हालाकि मीडिया में इस तरह के बयान के आने के बाद से भाजपा बचाव की मुद्रा में आ गई है, और बयान को तोड़मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगा रही है। राज्य में शराबबंदी होगी या नहीं होगी ? यह बात की बात है, लेकिन इस पर सियासत लगातार जारी है।

बतौर मीडिया, भाजपा नेत्री ’हमने शराबबंदी का पहले भी कोई वादा नहीं किया था, अब भी नहीं कर रहे हैं’ के बयान के बाद कांग्रेस, बीजेपी पर एक बार फिर हमलावर हो गई है। असल में शराबबंदी छत्तीसगढ़ में भाजपा का अब तक सबसे बड़ा मुद्दा है, और ऐसे वक्त में शराबबंदी के बड़े मुद्दे पर इस तरह के बयान से कहीं न कहीं भाजपा घिरती नजर आ रही है, वहीं शराबबंदी का मसला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।

शराब दुकान बंद होने के समय में परिवर्तन शराबबंदी की नोकझोंक के बीच एक सवाल यह भी है कि क्या शराबबंदी के बाद छत्तीसगढ़ में भी गुजरात एवं बिहार जैसे हालात नहीं होंगे ? यानि अवैध, जहरीली शराब के धंधे को कैसे रोका जायेगा ? उससे होने वाली मौतों को कैसे रोका जायेगा ? छत्तीसगढ़ राज्य वैसे भी भारतीय संविधान की 5वीं एवं 6वीं अनुसूची में उल्लेखित अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आता है। ऐसे में राज्य के 19 जिलों में पूर्णं शराबबंदी संभव ही नहीं है। फिर शराबंदी कैसे होगी ? इन 19 जिलों से शेष जिलों में अवैध शराब के परिवहन को कैसे रोका जायेगा ? दर्जनों सवालात हैं।

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छत्तीसगढ़ के कई सामाजिक संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं मीडिया सहित सैकड़ों प्रबुद्ध जनों का मानना है कि राज्य में पिछले एक दशक में शराबखोरी एवं इसकी आदत तथा शराब की बिक्री दोगुनी-तिगुनी से अधिक हो चुकी है। चूंकि सरकार को शराब से हजारों करोड़ रूपये का राजस्व मिलता है, इसलिए सरकार इसे हर हाल में जारी रखना चाहती है। लेकिन शराबखोरी की वजह से होने वाली आत्महत्याओं, हिंसाओं, अपराधों, दुष्कर्मों, सड़क दुर्घटनाओं को रोकना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। शराबखोरी के कारण समाज में होने वाले असामाजिक कृत्यों एवं समाज विरोधी गतिविधियांे को रोकना भी सरकार के लिए बड़ी चिंता पैदा करती है।

शराब इतनी पी कि बाइक पर ही मौत
शराब इतनी पी कि बाइक पर ही मौत

बहरहाल, शराबबंदी का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है। इस बार शराबबंदी के मामले को लेकर भाजपा घिर गई है। अभी तक भाजपा इसी मसले को लेकर कांग्रेस को घेरते आई है, और अब इसी मसले में खुद फंसती दिखती है। देखना दिलचस्प है कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में शराबबंदी का मसला कितना प्रभावी होता है ? क्या आने वाले दिनों में राज्य में वाकई शराबबंदी होगी ? क्या कांग्रेस शराबबंदी करेगी ? या यह एक जुमला बनकर रह जायेगा ? सबसे बड़ा सवाल कि क्या आगामी विधानसभा चुनाव 2023 में छत्तीसगढ़ में शराबबंदी एक मुद्दा बनेगा ?

(लेखक; प्राध्यापक, अर्थशास्त्री, मीडिया पेनलिस्ट, सामाजिक-आर्थिक विश्लेषक एवं विमर्शकार हैं)

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