बढ़ती बेरोजगारी एवं अवसाद: युवाओं के मानसिक सेहत एवं स्वास्थ्य के लिए बनी चुनौती

कोविड महामारी के बाद वैसे तो दुनियाभर के तमाम क्षेत्रों एवं आयामों में बदलाव एवं परिवर्तन आये हैं लेकिन युवाओं के उपर आये बदलाव अब युवापीढ़ी के लिए भारी पड़ने लगी है. एक ओर जहां युवाओं के लिए बेरोजगारी यानि रोजगार का संकट पैदा हो रहा है, वहीं दूसरी ओर युवाओं में अवसाद यानि डिप्रेशन बढ़ता जा रहा है. कोरोना से लोगों की केवल आर्थिक स्थिति ही खराब नहीं हुई है, वरन मानसिक सेहत पर भी व्यापक प्रभाव पड़ा है. इससे सबसे अधिक देश की युवापीढ़ी जुझ रही है.

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कोविड महामारी के बाद वैसे तो दुनियाभर के तमाम क्षेत्रों एवं आयामों में बदलाव एवं परिवर्तन आये हैं लेकिन युवाओं के उपर आये बदलाव अब युवापीढ़ी के लिए भारी पड़ने लगी है. एक ओर जहां युवाओं के लिए बेरोजगारी यानि रोजगार का संकट पैदा हो रहा है, वहीं दूसरी ओर युवाओं में अवसाद यानि डिप्रेशन बढ़ता जा रहा है. कोरोना से लोगों की केवल आर्थिक स्थिति ही खराब नहीं हुई है, वरन मानसिक सेहत पर भी व्यापक प्रभाव पड़ा है. इससे सबसे अधिक देश की युवापीढ़ी जुझ रही है.

डॉ. लखन चौधरी

अब देशभर में इस तरह के या इससे जुड़े अध्ययनों के निष्कर्ष आने लगे हैं, जिससे ज्ञात होने लगा है कि कोरोना कालखण्ड के बाद मानसिक सेहत पर सर्वाधिक असर दिखने लगा है. इसी तारतम्य में विगत दिनों देशभर में कोरोना काल में युवाओं एवं उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर अध्ययन किया गया है. इस तरह एक अध्ययन विगत दिनों लोकनीति-सीएसडीएस की छत्तीसगढ़ द्वारा किया गया है.

उल्लेखनीय है कि ’सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज’ (सीएसडीएस) विकासशील समाज अध्ययन के लिये गठित एक शोध संस्थान हैै, जो सामाजिक बदलावों एवे परिवर्तनों को लेकर तथ्यात्मक अनुसंधान करती है. दिल्ली मुख्यालय स्थित इस स्वतंत्र संस्थान की स्थापना 1963 में प्रो. रजनी कोठारी द्वारा की गयी थी. यह संस्थान भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद्, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है. इस संस्थान द्वारा समय-समय पर समसामयिक विषयों पर अनुसंधान कराये जाते रहते हैं, लेकिन कोविड कालखण्ड के बाद समाज में पड़ने वाले प्रभावों को लेकर विगत दिनों इस संस्थान द्वारा महत्वपूर्णं अध्ययन कराये गये हैं.

इस कड़ी में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर एवं इस्पात नगरी भिलाई में भी यह सर्वेक्षण कार्य आयोजित किया गया. राजधानी रायपुर के चार स्थानों उरला बस्ती-बिरगांव, टिकरापारा, दीनदयाल उपाध्याय नगर, शंकर नगर तथा इस्पात नगरी भिलाई के मरोदा बस्ती, भिलाई 3, वैशालीनगर एवं नेहरूनगर क्षेत्रों में यह सर्वेक्षण कार्य सम्पन्न हुआ है.

’कोविड कालखण्ड के बाद युवाओं के रोजगार एवं मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर आधारित सर्वेक्षण का नेतृत्व लोकनीति-सीएसडीएस के राज्य समन्वयक प्रसिद्व अर्थशास्त्री एवं मीडिया विशलेषक डॉ. लखन चौधरी एवं राज्य सुपरवाईजर डॉ. भागवत प्रसाद ने किया. इस सर्वेक्षण में रायपुर की टीम की ओर से रूद्रेश साहू, बबिता शर्मा, कन्हैया साहू एवं खिलेश्वर बघेल तथा भिलाई की टीम की ओर से कमल सिन्हा, बिसेन जायसवाल, दुर्गेश, जिलेश शामिल रहे. सर्वे द्वारा एकत्र की गई जानकारियों का उपयोग लेख लिखने और शैक्षाणिक उद्देश्यों के लिए किया जायेगा.

यह सर्वेक्षण एक स्वतंत्र अध्ययन है और किसी भी राजनीतिक दल या सरकारी एजेंसी से इसका कोई संबंध नही है. इस सर्वे के अंतर्गत उत्तरदताओं से अनेक प्रश्न पूछे गये जैसे- आपके अनुसार इस समय देश की सबसे बड़ी समस्या क्या है ? इस समस्या को सुलझाने के लिये कौन सी पार्टी सबसे अच्छी साबित हो सकती है ? ऑनलाइन क्लास करते समय, आपने किन समस्याओं का सामना किया ? लॉकडाउन के दौरान, आपके लिये पढ़ाई करना कितना मुश्किल रहा ? कोरोना के दौरान शिक्षा से संबधित सबसे बड़ी समस्या क्या रही ? लॉकडाउन के समय आप किसके साथ रह रहे थे ? लॉकडाउन के दौरान एवं उसके बाद आपकी जीवनशैली में क्या-क्या बदलाव एवं परिवर्तन हुए या आये हैं ? लॉकडाउन के दौरान आपकी धार्मिक गतिविधियाँ कैसी रही ? पिछले दो सालों में क्या आप मानसिक तनाव को दूर करने के लिये किसी काउंसलर या मनोचिकित्सक के पास गए ? क्या आप सरकार द्वारा कोरोना महामारी को लेकर किये गये कामों से संतुष्ट है ?

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अगर हम तीन परिवारों की बात करे, जहॉ एक परिवार के मुखियां कमाने वाला सरकारी नौकरी में है; दूसरा, प्राईवेट नौकरी में; और तीसरा, जिसका खुद का बिजनेस है, आपके अनुसार- कोरोना के दौरान, इन तीनों परिवारों में से किस परिवार को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा ? लॉकडाउन के दौरान, क्या आपने अपने ऑफिस का काम हमेशा घर से किया ? ज्यादातर घर से किया, कभी कभार किया, बहुत कम बार या कभी नही किया ? लॉकडाउन के दौरान घर से काम करते समय, आपने अपने परिवार को कितना समय दिया ? पिछले दो सालों में आपने या आपके परिवार ने कितना कर्जा लिया ? अगर आप अपने परिवार की दो साल की आमदनी की तुलना, उससे पहले से करे, तो कुल मिलाकर पिछले 2 सालों में आपके परिवार की आमदनी बढ़ी है या कम हुयी है ? यदि आप लॉकडाउन से पहले की तुलना लॉकडाउन के दौरान से करते है, तो क्या आप कहेंगे कि लॉकडाउन के दौरान पूजा पाठ या अन्य धार्मिक कामों आपकी भागीदारी बढ़ी है या घटी है ? क्या आपके पास कोविड से पहले हेल्थ इंश्योरेंस था या आपने इसे कोविड के बाद लिया ?

जब हम अकेले में समय बिताते है, तो अकेलेपन की भावना का आना आम बात है। पिछले दो सालों के बारे में सोचते हुए बताये कि आप में इस तरह की भावनाएं बढ़ी है या घटी है ? लॉकडाउन के दौरान, सोशल मीडिया का इस्तेमाल कितना किया ? जब भी विज्ञान और धर्म के बीच टकराव होता है तो धर्म हमेशा सही होता है। क्या आप इस वाक्य से सहमत है या असहमत ? लॉकडाउन से पहले क्या आप किसी तनाव या मानसिक समस्या से जूझ रहे थे ? पिछले दो सालों में, आपको कितनी बार खुद को चोंट पहुंचाने या अपने जीवन को खत्म करने का विचार आया ? पिछले दो सालों में, जब भी आपने सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया, तब आपको सोशल मीडिया के बारे में क्या लगा ? मान लिजिए कि आप अपने जीवन में किसी समस्या जैसे डिप्रेशन, चिंता या मन में जीवन को खत्म करने के विचार आना आदि, से जूझ रहे हों, तो आप मदद के लिये सबसे पहले किसके पास जायेंगे ? सोशल मीडिया के इस्तेमाल से आप कॉन्फिडेंट महसूस करते है या खुद पर संदेह होता है ?

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इस सर्वेक्षण में 15 से लेकर 34 वर्ष की आयु के युवाओं को सम्मिलित किया गया। सर्वे में उत्तरदाता युवाओं ने खुलकर जवाब दिया है. राज्य समन्वयक डॉ. लखन चौधरी ने कहा कि यह सर्वे अपने आप में अनूठा है और देशभर के साथ छत्तीसगढ़ के युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को समझने का एक गंभीर प्रयास है. कोरोना काल की परिस्थितियाँ कई मायने में भिन्न रही है वैश्विक. अर्थतंत्र से लेकर सभ्यता की हर व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया था. इन सारी चुनौतियों को वैज्ञानिक ढंग से समझने में यह कारगर होगी.सर्वे के नतीजे जल्द ही मीडिया में आयेंगे.

(लेखक; प्राध्यापक, अर्थशास्त्री, मीडिया पेनलिस्ट, सामाजिक-आर्थिक विश्लेषक एवं विमर्शकार हैं)

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