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पर्यटन

राजिम माघी पुन्नी मेला शुरू, श्रद्धालुओं ने किया त्रिवेणी संगम में स्नान

रायपुर| छत्तीसगढ़ के प्रयाग राज के रूप में प्रसिद्ध राजिम में माघी पुन्नी मेला आज से शुरू  हो गया है। श्रद्धालुओं का सुबह से ही देवालय दर्शन और घाटों में स्नान का सिलसिला शुरू हो गया है।…
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सिरपुर महोत्सव 16 और 17 फरवरी को, रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम

महासमुंद | सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल सिरपुर में माघ पूर्णिमा के अवसर पर होने वाले दो दिवसीय सिरपुर महोत्सव का आयोजन 16 एवं 17 फरवरी को होगा। इस मौके पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम…
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ओडिशा : भगवान जगन्नाथ दर्शन के लिए टीकाकरण की बंदिश खत्म

भुवनेश्वर| ओडिशा का पुरी जगन्नाथ मंदिर 21 फ़रवरी से बिना किसी प्रतिबंध के खोल दिए जायेंगे | अब  दर्शनार्थियों के लिए टीकाकरण प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होगी | कोरोना  संक्रमण के   कारण…
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बदरीनाथ धाम के कपाट 8 मई को खुलेंगे

देहरादून | उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट रविवार आठ मई को सुबह 6 बजकर 15 मिनट में खुलेंगे, जबकि गाडू घड़ा (तेलकलश यात्रा) की तिथि 22 अप्रैल…
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adventure sports के रूप में विकसित हो रहा दंतेवाड़ा का सातधार

रायपुर| adventure sports के रूप में दंतेवाड़ा का सातधार विकसित हो रहा है |अपने चारों ओर पहाड़ों  से घिरे  हरे-भरे वादियों के बीच प्रशासनिक तथा धार्मिक महत्व के स्थल दंतेवाड़ा में डंकिनी…
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गुरूद्वारा श्री नानक सागर तीर्थस्थल गढ़फुलझर , महेंद्र छाबड़ा अध्यक्ष बने

पिथौरा। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले की बसना तहसील के निकट ग्राम गढ़फुलझर के समीप नानक सागर में गुरुद्वारा निर्माण हेतु बनाई गई कमेटी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सर्वसम्मति से प्रदेश…
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नानक सागर:  517 बरस पहले जहाँ गुरुनानक देव रुके थे 2 दिन

रजिंदर सिंह खनूजा नानक सागर: सिक्खों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी 517 बरस पहले जगन्नाथ पुरी से अमरकंटक जाते छत्तीसगढ़ के इस  गाँव में 2 दिन बिताये थे | यह गाँव महासमुन्द जिले के बसना…
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सैलानी कोडार डेम में ले सकेंगे बोटिंग-टेटिंग का मजा 

रायपुर| महासमुन्द जिला स्थित कोडार डेम में बोटिंग सुविधा के साथ टेंटिंग शुरू हो गई है। संसदीय सचिव श्री विनोद चंद्राकर ने वन चेतना केन्द्र कुहरी, इको पर्यटन कोडार जलाशय में इसका…
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आखिर हाथी बार नवापारा अभ्यारण्य में आते क्यों हैं ?

आखिर हाथी  बार नवापारा अभ्यारण्य में आते क्यों हैं ? एक आदिवासी ग्रामीण ने जो जानकारी दी मुझे हैरान कर गई | अकूत बलशाली हाथी भी यहाँ दवाई खाने आते हैं | जी हाँ, कंद मूल के रूप में मौजूद…
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