Browsing Category

भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति

1 अगस्त संबलपुरी दिवस:संबलपुरी वस्त्र शिल्प ,जो एक जीवन शैली बन चुकी

ओडिशा का संबलपुरी वस्त्र शिल्प भारत ही नहीं पूरी दुनिया को आकर्षित कर रखा है | रुमाल से लेकर साड़ी विशिष्ट सवरूप समेटे हुए है | संबलपुरी वस्त्र शिल्पियों के हाथों ने  इसमें जातीय…
Read More...

बुंदेलखंड के जालौन जिले में 1400 साल पुराना शिव मंदिर

नई दिल्ली । बुंदेलखंड के जालौन जनपद में 1400 साल पुराने शिव मंदिर से जुड़ी एक अद्भुत महिमा है। यह ‎शिवलिंग हर साल  चावल के दाने के बराबर बढ जाता है। जनपद जालौन की माधवगढ़ तहसील के…
Read More...

धार्मिक झगड़े पैदा करना गो रक्षा नहीं-मुंशी प्रेमचंद

गौकशी पर मुंशी प्रेमचंद के लेख का अंश यह किसी मज़हब के लिए शान की बात नहीं है कि वह दूसरों की धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाये। गौकशी के मामले में हिन्दुओं ने शुरू…
Read More...

धोलावीरा को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी

नई दिल्ली | भारत के 40वें स्थल धोलावीरा को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला| कच्छ का रण, गुजरात में स्थित हड़प्पा कालीन स्थल धोलावीरा से संबंधित भारतीय नामांकन को यूनेस्को ने विश्व धरोहर…
Read More...

तेलंगाना का पालमपेट रुद्रेश्वर मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल सूची में  

नई दिल्ली |  तेलंगाना के वारंगल के पास, मुलुगु जिले के पालमपेट में स्थित रुद्रेश्वर मंदिर (जिसे रामप्पा मंदिर के रूप में भी जाना जाता है) को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में…
Read More...

खैनी खाये चूतिया, थूके सारी ओर

उत्तर भारत में प्रचलित इस कहावत में अब खैनी की जगह गुटखा का शब्द का इस्तेमाल सामयिक होगा| गुटखा जिसमें खैनी (जर्दा) भी शामिल होता है| देश भर में आपको गुटखा प्रेमी मिल जाएंगे|यानि गुटखा…
Read More...

मौन होकर भी मुखर हो तुम, प्रथम स्पर्श प्यार हो तुम

नारी को सम्मान देने आज दुनिया महिला दिवस मना रही है , पर आप सोचें  जीवन का हर पल उसके बिना  संभव नहीं तुम  शब्द में जैसे अर्थ हो तुम गीतों में नाजुक बन्ध हो तुम सरगम की इक-इक लय…
Read More...

भारतीय धर्म एवं सभ्यता

इतिहास गवाह है कि भारतीय समाज, संस्कृति के सम्पर्क में आने के पूर्व उतना ही जंगली, बर्बर तथा असामाजिक था, जितने की अन्य समाज । हमारे संस्कार ने हमें बर्बरता से दूर किया तथा हमें मानव…
Read More...

इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं

इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं -रामचरित मानस में लक्ष्मण ने परशुराम के स्वभाव पर व्यंग्य किया कि मुनिवर स्वयं को महान योद्धा मान रहे हैं।  मुझे अपना…
Read More...